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पन्हाला किला – इतिहास की गोद में बसा एक गौरवशाली दुर्ग

महाराष्ट्र की खूबसूरत वादियों में स्थित पन्हाला किला (Panhala Fort), न सिर्फ स्थापत्य कला का अद्भुत उदाहरण है, बल्कि यह मराठा साम्राज्य के गौरवशाली इतिहास का भी साक्षी है। कोल्हापुर से लगभग 20 किलोमीटर दूर स्थित यह किला समुद्र तल से 3177 फीट की ऊँचाई पर बसा हुआ है और यह पर्यटकों के लिए एक प्रमुख आकर्षण का केंद्र है।

इतिहास की झलक

पन्हाला किले का निर्माण 12वीं शताब्दी में शिलाहार राजवंश ने कराया था। बाद में इस पर कई राजाओं का शासन रहा, जिसमें यादव, बहमनी, आदिलशाही और अंत में छत्रपति शिवाजी महाराज का नाम प्रमुख है। शिवाजी महाराज ने इस किले का उपयोग अपने साम्राज्य की रक्षा के लिए किया और यह किला मराठा इतिहास का एक महत्वपूर्ण भाग बन गया।

किले की विशेषताएँ

पन्हाला किला लगभग 14 किलोमीटर के क्षेत्र में फैला हुआ है और इसके अंदर कई प्राचीन संरचनाएं हैं जैसे:

  • अंधार बावड़ी (Andhar Bavadi): यह एक गुप्त सुरंगनुमा बावड़ी है जो पानी की आवश्यकता के समय उपयोग होती थी।
  • राजद्वार (Main Gate): विशाल द्वार जिसे देखकर ही दुश्मन डर जाया करते थे।
  • सज्जा कोठी: यहाँ से शिवाजी महाराज युद्ध की रणनीति बनाते थे।
  • धरती के नीचे सुरंगें: इन सुरंगों का उपयोग छिपकर आने-जाने के लिए किया जाता था।

शिवाजी महाराज और पन्हाला की कहानी

पन्हाला किले की सबसे प्रसिद्ध घटना तब की है जब शिवाजी महाराज ने सिद्धी जौहर की घेराबंदी से निकलने के लिए "घोड़ा पीछा" (घाटी युद्ध) की रणनीति अपनाई। बाबा जी पाले और बाजी प्रभु देशपांडे की वीरता की यह कहानी आज भी लोगों के दिलों में जीवित है।

आज का पन्हाला

आज यह किला एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल बन चुका है। यहाँ का शांत वातावरण, ऐतिहासिक महत्व और आसपास के हरे-भरे पहाड़ पर्यटकों को आकर्षित करते हैं। पन्हाला का मौसम पूरे साल सुहावना रहता है, विशेष रूप से मानसून के समय यहाँ का नज़ारा और भी मनमोहक हो जाता है।

कैसे पहुँचें

पन्हाला किला कोल्हापुर से सड़क मार्ग द्वारा आसानी से पहुँचा जा सकता है। नजदीकी रेलवे स्टेशन कोल्हापुर है और नजदीकी हवाई अड्डा बेलगाम या पुणे हो सकता है।


निष्कर्ष:
पन्हाला किला सिर्फ एक पर्यटन स्थल नहीं, बल्कि वीरता, शौर्य और रणनीति का प्रतीक है। यदि आप इतिहास, प्रकृति और संस्कृति में रुचि रखते हैं, तो पन्हाला की यात्रा अवश्य करें।

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